‘नया’, ‘साल’, ‘शुभता’

कहते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है; इसको सुनकर ऐसा लग सकता है मानो कि ये संसार कुछ है जिसमें परिवर्तन होता है, परंतु एक गहरी दृष्टि से देखो तो पता चलेगा कि बात ये कही जा रही है - जहाँ परिवर्तन होते रहते हैं उसी का नाम संसार है; परिवर्तनों से अलग संसार कोई स्थायी इकाई नहीं है।तो हमारे देखे परिवर्तन तो लगातार हो रहे हैं, पर क्या सब परिवर्तनों की प्रकृति एक जैसी है? उदाहरण के लिए, कमरे में फर्श पर पड़ी झाड़ू को उठाकर कोने में खड़ा कर दिया जाए तो झाड़ू की स्थिति में परिवर्तन…

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ग्रामीण भारत की रमणीकता

आज भारत तेजी से आर्थिक तरक्की की ओर बढ़ रहा है जिसमें तरह-तरह के औद्योगिक विकास के उपक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बड़े-बड़े शहरों में विभिन्न मल्टीनेशनल कम्पनियों के केंद्र स्थापित हो चुके हैं, और भी हो रहे हैं। ये सब अच्छी बात है, पर इन सबके बीच हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि भारत आज भी गाँवों का देश है और आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता है। छ: लाख से अधिक गाँवों की गोद में भारत की साठ फीसदी से ज़्यादा जनसंख्या खेलती-कूदती है। चूँकि भारत की भौगोलिकता…

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