बंकू: संगम दो जहानों का #पुस्तकसमीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक: बंकू लेखक: अमित तिवारी --------------------------------------सबसे पहले तो मैं बंकू महाराज से क्षमा माँगूँगा कि उनके आने के बाद भी मिलने में काफ़ी इंतजार करवाया, और फिर यात्रा पूरी करने के बाद भी इस समीक्षा को लिखने में दो दिन लगा दिए। बहरहाल, बंकू - एक कहानी जो सामान्य होकर भी सामान्य नहीं है, क्योंकि ऐसी सामान्य कहानियाँ हमारे आसपास घटित होने हुए भी हम उनसे पूर्णत: अनभिज्ञ, अस्पर्शित रहते हैं। तो सामान्य सी इस असामान्य कहानी में क्या है खास, ये तो आपको बंकू ही बता सकता है। इसीलिए बिना देरी किए, जाइए और चलिए उसकी फुदकन…

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पति, पत्नी, आत्महत्या और वो बात…

मनुष्य का दुनिया में आगमन एक संबंध के परिणामस्वरूप होता है। फिर उसकी परवरिश उन लोगों के बीच होती है जो किसी-न-किसी संबंध के कारण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। इस तरह कहा जाए तो मनुष्य का पूरा जीवन संबंधों के नेटवर्क में इधर-से-उधर होते रहने की प्रक्रिया भर है। इन्हीं संबंधों के बीच ही इंसान निरंतर जी रहा होता है। हाँ, इस बीच कभी पारिवारिक संबंध प्रमुख स्थान ले लेते हैं, कभी सामाजिक, कभी राजनैतिक, कभी व्यावसायिक तो कभी कोई अन्य, पर इंसान रहता तो संबंध के बीच ही है। इसीलिए फिर संबंध से छुटकारा पाना न…

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दीवार पर सिर, मतलब?

https://youtube.com/shorts/tVBljOWMX4M?si=sdpVED6V95Q7ErFv 'अरे, आज रिंकू स्कूल क्यों नहीं आया' 'सुना है कि उसने बिना देखे कुछ उल्टा-पुल्टा खा लिया, जिससे उसका पेट खराब हो गया। और अब डॉक्टर के यहाँ पड़ा-पड़ा रो रहा है।' 'ऐसा क्या, और ये मिंकू भी तो नहीं आया स्कूल!' 'उसका तो और भी बुरा हाल है। उसने बिना सोचे-समझे फोन में न जाने क्या उल्टा-पुल्टा देख लिया, और फिर कोने में छिपकर दीवार पर सिर दे मारा।' 'मतलब?' 'मतलब ये कि जैसे मुँह से उल्टा-पुल्टा खा लेने से पेट खराब हो जाता है, वैसे ही आँखों या कान से उल्टा-पुल्टा खा लेने से (यानि उल्टा-पुल्टा कुछ…

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अच्छे बच्चे मंजन करते?

https://youtube.com/shorts/bNV-hCuQt84?feature=share हे एक अच्छी से पोयम सुनाओ अच्छी सी पोयम?लो सुनो अच्छे बच्चों की अच्छी पोयम अच्छे बच्चे मंजन करतेमंजन करके कुल्ला करतेकुल्ला करके रोज नहातेरोज नहाकर खाना जातेखाना खाकर स्कूल जाते बहुत मजा आया। पोयम तो तुमने अच्छे से सुनाई, पर असली बात है नहीं बताई। असली बात? कौनसी असली बात?यही कि अच्छे बच्चे क्या हैं करते। अच्छे बच्चे मम्मी से कहते हैं मम्मी हम क्यों सोने जातेसोकर क्यों हैं फिर उठ जातेक्यों मंजन और कुल्ला करतेक्यों ही हैं हम रोज नहातेक्यों हर दिन हम खाना खातेफिर क्यों हैं स्कूल को जाते मतलब अच्छे बच्चे प्रश्न हैं करते।पर उसके…

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बधाई हो, (देश) बर्बाद हुआ है!

कुछ दिनों पहले मुझे अनेक गाँवों में जाने और वहाँ के लोगों से बात करने का अवसर मिला। वो सारे लोग जो गुटखा, तंबाकू या अन्य नशों के शिकार हैं, जब उनसे बात की तो उनकी व्यथा कुछ इस प्रकार थी, 'हाँ, हम भी इतना तो जानते हैं कि इससे मेरा नुकसान है, पर अब क्या करें! आदत पड़ गई है जो छूटती ही नहीं।' यद्यपि ये बात भी वो पूछने पर ही कह पाए, नहीं तो तंबाकू, गुटखा जैसे रोटी-पानी हो गया है जिसे खाना सामान्य बात है, ज़रूरी बात है। जब उनकी इस 'सामान्य' बात के सामने एक…

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मुझे तो वही अमरूद चाहिए

अपाला नाम की एक छोटी सी बच्ची थी। वो अपने माता–पिता और दादा–दादी के साथ रहती थी। एक दिन जब अंधेरा हो गया तो सब के सब लेट गए और  गहरी नींद में सो गए। धीरे–धीरे रात बीतने लगी

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मेरा तो मन ही नहीं कर रहा

तो हुआ क्या कि एक बहुत बड़ा गाँव था। गाँव का क्या नाम था? गाँव का नाम था वेदांतपुर, क्या? वेदांतपुर। वेदांतपुर बहुत ही बड़ा था इसलिए उसमें अनेक प्रकार कीं वस्तुएँ थीं और विभिन्न प्रकार के लोग थे और बहुत सारे बच्चे रहते थे। एक गली में चार बहुत अच्छे दोस्त रहते थे। उन चारों के क्या नाम थे? चारों में से एक का नाम था नचिकेता, दूसरे का श्वेतकेतु, तीसरे का सत्यकाम और चौथे का अथर्व।

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एक लड़का कहाँ खो गया?

अभिभावक: बहुत रात हो गई है, चुपचाप लेटो और सो जाओ अब! पुत्र/पुत्री: नहीं, अभी मुझे नींद ही नहीं आ रही, पहले एक कहानी सुनाओ। अभिभावक: ठीक है, सुनो। बहुत साल पहले जंगल में एक स्कूल था। आश्रम कहते हैं उस स्कूल को। इस आश्रम के पास से एक नदी भी बहती थी। उस आश्रम में बहुत सारे लड़के–लड़कियाँ पढ़ाई करते थे। पुत्र/पुत्री: लड़का–लड़की, दोनों पढ़ते थे? अभिभावक: हाँ, आज से बहुत–बहुत साल पहले दोनों पढ़ते थे, जैसे आज स्कूल में पढ़ते हैं। फिर एक दिन क्या हुआ कि आश्रम के जो गुरुजी थे, उन्होंने कुछ लड़कों से कहा कि…

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