जो हम भारतीयों को पश्चिम से सीखना चाहिए, लेख १ – साफ़-सफ़ाई
दुनिया में हर एक व्यक्ति गुणों व दोषों का सम्मिलित पुतला होता है। शायद ही ऐसा कोई हो जो हर दृष्टि से दोषरहित है, या जो हर दृष्टि से गुणरहित है। कहने का तात्पर्य ये है कि हम जैसे सामान्य इंसान के अन्दर गुण-दोष दोनों अलग-अलग अनुपात में रहते ही रहते हैं, और व्यक्ति का स्वयं के प्रति ये दायित्व होता है कि वो दुर्गुणों (दोषों) को कमतर करता चले।