मुझे तो वही अमरूद चाहिए
अपाला नाम की एक छोटी सी बच्ची थी। वो अपने माता–पिता और दादा–दादी के साथ रहती थी। एक दिन जब अंधेरा हो गया तो सब के सब लेट गए और गहरी नींद में सो गए। धीरे–धीरे रात बीतने लगी
अपाला नाम की एक छोटी सी बच्ची थी। वो अपने माता–पिता और दादा–दादी के साथ रहती थी। एक दिन जब अंधेरा हो गया तो सब के सब लेट गए और गहरी नींद में सो गए। धीरे–धीरे रात बीतने लगी
मताई–बाप: खूबई रात आ हो गई है, मोंगे–मोंगे पर रओ और सो जाओ अब! मोड़ी–मोड़ा: आँहाँ, हमें नींदई नईं आ रई। पैलें एकाद किसाई सुना दो। मताई–बाप: लो तो, सुनो। गल्लन साल पैलें जंगल में एक स्कूल हतो तो। आश्रम कत ऊखों। ऊ आश्रम के लिगाँ से एक नदी भी बेउत ती। आश्रम में एनईं–एन मोड़ी–मोड़ा पढ़त ते। मोड़ी–मोड़ा: दोई जने पढ़त ते, मोड़ी और मोड़ा? मताई–बाप: हओ, आज से भौतई–भौत पहले दोई जने पढ़त ते जैसे आज स्कूलन में पढ़त। फिर का भओ के एक दिना आश्रम के जो गुरुजी हते ते, उन ने कछु मोड़न से कई के…
अभिभावक: बहुत रात हो गई है, चुपचाप लेटो और सो जाओ अब! पुत्र/पुत्री: नहीं, अभी मुझे नींद ही नहीं आ रही, पहले एक कहानी सुनाओ। अभिभावक: ठीक है, सुनो। बहुत साल पहले जंगल में एक स्कूल था। आश्रम कहते हैं उस स्कूल को। इस आश्रम के पास से एक नदी भी बहती थी। उस आश्रम में बहुत सारे लड़के–लड़कियाँ पढ़ाई करते थे। पुत्र/पुत्री: लड़का–लड़की, दोनों पढ़ते थे? अभिभावक: हाँ, आज से बहुत–बहुत साल पहले दोनों पढ़ते थे, जैसे आज स्कूल में पढ़ते हैं। फिर एक दिन क्या हुआ कि आश्रम के जो गुरुजी थे, उन्होंने कुछ लड़कों से कहा कि…