‘नया’, ‘साल’, ‘शुभता’

कहते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है; इसको सुनकर ऐसा लग सकता है मानो कि ये संसार कुछ है जिसमें परिवर्तन होता है, परंतु एक गहरी दृष्टि से देखो तो पता चलेगा कि बात ये कही जा रही है - जहाँ परिवर्तन होते रहते हैं उसी का नाम संसार है; परिवर्तनों से अलग संसार कोई स्थायी इकाई नहीं है।तो हमारे देखे परिवर्तन तो लगातार हो रहे हैं, पर क्या सब परिवर्तनों की प्रकृति एक जैसी है? उदाहरण के लिए, कमरे में फर्श पर पड़ी झाड़ू को उठाकर कोने में खड़ा कर दिया जाए तो झाड़ू की स्थिति में परिवर्तन…

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पति, पत्नी, आत्महत्या और वो बात…

मनुष्य का दुनिया में आगमन एक संबंध के परिणामस्वरूप होता है। फिर उसकी परवरिश उन लोगों के बीच होती है जो किसी-न-किसी संबंध के कारण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। इस तरह कहा जाए तो मनुष्य का पूरा जीवन संबंधों के नेटवर्क में इधर-से-उधर होते रहने की प्रक्रिया भर है। इन्हीं संबंधों के बीच ही इंसान निरंतर जी रहा होता है। हाँ, इस बीच कभी पारिवारिक संबंध प्रमुख स्थान ले लेते हैं, कभी सामाजिक, कभी राजनैतिक, कभी व्यावसायिक तो कभी कोई अन्य, पर इंसान रहता तो संबंध के बीच ही है। इसीलिए फिर संबंध से छुटकारा पाना न…

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बधाई हो, (देश) बर्बाद हुआ है!

कुछ दिनों पहले मुझे अनेक गाँवों में जाने और वहाँ के लोगों से बात करने का अवसर मिला। वो सारे लोग जो गुटखा, तंबाकू या अन्य नशों के शिकार हैं, जब उनसे बात की तो उनकी व्यथा कुछ इस प्रकार थी, 'हाँ, हम भी इतना तो जानते हैं कि इससे मेरा नुकसान है, पर अब क्या करें! आदत पड़ गई है जो छूटती ही नहीं।' यद्यपि ये बात भी वो पूछने पर ही कह पाए, नहीं तो तंबाकू, गुटखा जैसे रोटी-पानी हो गया है जिसे खाना सामान्य बात है, ज़रूरी बात है। जब उनकी इस 'सामान्य' बात के सामने एक…

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