भींट पर मुड़ी, माने?

https://youtube.com/shorts/k8tyq4bDkE0?si=RFSYX9FJepbL09Ep 'ओय, आज रिंकू पढ़बे काय नईं आव?' 'सुनो है के ऊने कछु उल्टो-पुल्टो खा लओ जीसें ऊको पेट बिगर गओ। और अब तो वो डॉक्टर के नाँ परो-परो रो रओ।' 'जा बात, पर जो मिंकू तो खुदई नई आओ स्कूल!''ऊको तो ओरई बुरओ हाल है। ऊने कछु सोचो-मोचो नई और पतो नई फोन में का उल्टो-पुल्टो देख लओ, और ऊके बाद कोने में दुकके भींट पे मुड़ी मार दई।' 'ईको माने?' 'ईको माने के जैसे मों से उल्टो-पुल्टो खा लो सो पेट बिगर जात, ऊसई गटन से के कानन सें उल्टो-पुल्टो खावे से (माने कछु उल्टो-पुल्टो देख या सुन…

Continue Readingभींट पर मुड़ी, माने?

हमें तो बेई विही चाने

राम–राम पौंचवे सबई जन खों, आज अपन एक और खूबई अच्छी किसा सुनें। एक हती थी हल्की सी मोड़ी, अपाला नाव तो ऊको। वा पने बाप–मताई और बब्बा–बऊ के संगे रत ती। एक दिना जब इंद्आऔ हो गऔ तो सबई जने पर रए और गेरी नींद में सो गए। हौले–हौले रात कड़न लगी और फिर भुनसाओ होन लगो। ऊकी मताई, बऊ और और जने तो जल्ली जग गए पर अपाला सोईबे लगी ती। ओई घरी पे वा बर्राऊँ लगी। का देखन लगी बर्राउत में? बर्राउत में देखन लगी के वा पनी दोस्ताँनिअन के संगे दिन–डूबे के टेम पे खेलने खों…

Continue Readingहमें तो बेई विही चाने

हमाओ तो मनईं नईं कर रओ

राम–राम पौंचवे सबई जन खों! आज अपन एक ऐनई–ऐन अच्छी किसा सुनें। तो का भओ के एक हतो तो बड़–बड्डो गाँव। गाँव को का नाव तो? गाँव को नाव तो वेदांतपुर। का? वेदांतपुर। वेदांतपुर ऐनईं–ऐन बड़–बड्डो हतो तो, सो ऊमें बन्न–बन्नकी चीज़ें हती तीं, बन्न–बन्नके आदमी रतते। और ऐनईं–ऐन तो मोड़ी–मोड़ा रतते। एक गली में चार भौतई–भौत अच्छे दोस्त रतते। उनन चारईंयन को का नाव तो? एक को नाव तो नचिकेता, दूसरे को श्वेतकेतु, तीसरे को सत्यकाम और चौथे को अथर्व। चारई जने संगे–संगे स्कूल जातते, संगई–संगे पढ़त ते, संगई–संगे खेलत ते। का खेलत ते? बन्न–बन्न के खेल — गिल्ली–डण्डा,…

Continue Readingहमाओ तो मनईं नईं कर रओ

एक मोड़ा किते हिरा गओ?

मताई–बाप: खूबई रात आ हो गई है, मोंगे–मोंगे पर रओ और सो जाओ अब! मोड़ी–मोड़ा: आँहाँ, हमें नींदई नईं आ रई। पैलें एकाद किसाई सुना दो। मताई–बाप: लो तो, सुनो। गल्लन साल पैलें जंगल में एक स्कूल हतो तो। आश्रम कत ऊखों। ऊ आश्रम के लिगाँ से एक नदी भी बेउत ती। आश्रम में एनईं–एन मोड़ी–मोड़ा पढ़त ते।  मोड़ी–मोड़ा: दोई जने पढ़त ते, मोड़ी और मोड़ा? मताई–बाप: हओ, आज से भौतई–भौत पहले दोई जने पढ़त ते जैसे आज स्कूलन में पढ़त। फिर का भओ के एक दिना आश्रम के जो गुरुजी हते ते, उन ने कछु मोड़न से कई के…

Continue Readingएक मोड़ा किते हिरा गओ?