बधाई हो, (देश) बर्बाद हुआ है!
कुछ दिनों पहले मुझे अनेक गाँवों में जाने और वहाँ के लोगों से बात करने का अवसर मिला। वो सारे लोग जो गुटखा, तंबाकू या अन्य नशों के शिकार हैं, जब उनसे बात की तो उनकी व्यथा कुछ इस प्रकार थी, 'हाँ, हम भी इतना तो जानते हैं कि इससे मेरा नुकसान है, पर अब क्या करें! आदत पड़ गई है जो छूटती ही नहीं।' यद्यपि ये बात भी वो पूछने पर ही कह पाए, नहीं तो तंबाकू, गुटखा जैसे रोटी-पानी हो गया है जिसे खाना सामान्य बात है, ज़रूरी बात है। जब उनकी इस 'सामान्य' बात के सामने एक…