पति, पत्नी, आत्महत्या और वो बात…

मनुष्य का दुनिया में आगमन एक संबंध के परिणामस्वरूप होता है। फिर उसकी परवरिश उन लोगों के बीच होती है जो किसी-न-किसी संबंध के कारण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। इस तरह कहा जाए तो मनुष्य का पूरा जीवन संबंधों के नेटवर्क में इधर-से-उधर होते रहने की प्रक्रिया भर है। इन्हीं संबंधों के बीच ही इंसान निरंतर जी रहा होता है। हाँ, इस बीच कभी पारिवारिक संबंध प्रमुख स्थान ले लेते हैं, कभी सामाजिक, कभी राजनैतिक, कभी व्यावसायिक तो कभी कोई अन्य, पर इंसान रहता तो संबंध के बीच ही है। इसीलिए फिर संबंध से छुटकारा पाना न…

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