‘ओय, आज रिंकू पढ़बे काय नईं आव?’
‘सुनो है के ऊने कछु उल्टो-पुल्टो खा लओ जीसें ऊको पेट बिगर गओ। और अब तो वो डॉक्टर के नाँ परो-परो रो रओ।’
‘जा बात, पर जो मिंकू तो खुदई नई आओ स्कूल!’
‘ऊको तो ओरई बुरओ हाल है। ऊने कछु सोचो-मोचो नई और पतो नई फोन में का उल्टो-पुल्टो देख लओ, और ऊके बाद कोने में दुकके भींट पे मुड़ी मार दई।’
‘ईको माने?’
‘ईको माने के जैसे मों से उल्टो-पुल्टो खा लो सो पेट बिगर जात, ऊसई गटन से के कानन सें उल्टो-पुल्टो खावे से (माने कछु उल्टो-पुल्टो देख या सुन लेवे से) भेजा बिगर जात।’
‘अरे, जा तो बहुतई डरवै की बात है! का कर सकत ईके लाने?’
‘आसान है – पेट खों दो नोनी रोटी, भेजे खों भी दो सई खावे।’