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हमें तो बेई विही चाने

राम–राम पौंचवे सबई जन खों,

आज अपन एक और खूबई अच्छी किसा सुनें।

एक हती थी हल्की सी मोड़ी, अपाला नाव तो ऊको। वा पने बाप–मताई और बब्बा–बऊ के संगे रत ती। एक दिना जब इंद्आऔ हो गऔ तो सबई जने पर रए और गेरी नींद में सो गए। हौले–हौले रात कड़न लगी और फिर भुनसाओ होन लगो। ऊकी मताई, बऊ और और जने तो जल्ली जग गए पर अपाला सोईबे लगी ती।

ओई घरी पे वा बर्राऊँ लगी। का देखन लगी बर्राउत में? बर्राउत में देखन लगी के वा पनी दोस्ताँनिअन के संगे दिन–डूबे के टेम पे खेलने खों जा रई।

पढ़बे के संगे–संगे खेलबो खुदई ज़रूरी होत ना! सबई खों रोज़ीना खेलनईं चज्जै जीसे अपने आँग तेज रत और बीमार नहीं होत।

तो अपाला बड़ी दार तक पनी सहेलिअँन के संगे ध्यान से खेलत रई और जब इंद्आओ होन लगो तो बे सबई औरें घर खों लौटन लगीं। फिर का भओ के गैल में एक विही को पेड़ों हतो तो जीपे पकीं–पकीं विहीं लगीं तीं। उनन में से एकाद–दो जनी पेड़ पे चढ़ गईं और दो–दो ठौले विहीं सबखों टोर लईँ।

विएँ खात–खात वे औरें पने–पने घरे पौंच गईं। अपाला खुदई पने घरे पौंच गईं, और ऊकी आदी विही बची ती जीखों ऊने एक पिरिआ में धर दओ के फिर खें और वा हात–गोड़े धोवे चली गई। जो सबई सपने में आँ हो रए है।

पर जा बात तो सई हेई के जब बायरे से आओ सो हात–गोड़े तो जरूरई धोओ जीसे बायरे की गंदगी भीतर नईं आ पावे।

सपने में आँगें का भओ के वा हाथ–गोड़े धोके आई और पिरिआ में से विही उठाऊँ लगी, जबई ऊकी मताई ने ऊखों उठा दओ के, “अपाला मोड़ी, उठ जा, भुनसाओ हो गओ, दातुन  करलो और सपर लो।”

पैलें तो अपाला खों कछु समझई में नईं आओ, फिर कन लगी, “हओ, हम दातुन करके और सपर के आउत।”

वो एक अच्छी मोड़ी तो आ ती जो साफ–सफाई को खूबई ध्यान रखत ती और भुनसाएँ दातुन करई के कछु खात ती।

जब वा दातुन करके और सपर के आई, तो पनी बऊ से कन लगी के हमें तो पनी आदी विही खाने है, खूबई मीठी है वा। बऊ चकरा गई के ईने विही कबै खाई। फिर ऊकी बऊ कन लगी, “आँहाँ मोड़ी, तम बर्रा रईं हुज्जौ, तमने तो अबै कोनऊँ विही खाके नईं धरी।”

तो अपाला कन लगी, “ऐसो कैसे हो सकत! हम तो खेलबे गए ते, और फिर विही खाई ती। कित्ती तो मीठी हती ती वा! हमें तो बेई विही चाने।”

ऊकी मताई और बऊ, दोई जनीं समजाऊँ लगीं के जो सब तो तम बर्राआ रईं तीं, ओई में आ हो रओ तो। पर अपाला बेर–बेर कत रई के, “बर्राउत में कैसे! हम खुदई तो पेड़ पे चढ़े ते और आदी विही ऐई पिरिआ में धरी ती। मोय तो ऊको स्वाद तक पतो है। जौ सब हमईं ने तो करो हतो। ऐसौ कैसे हो सकत के जौ सब भओअई नईंयाँ? हमें तो बेई विही खाने।”

वे दोईजनीं फिर समजाऊँ लगीं के, “मोड़ी, जो बर्राउत में होत है, बो बस लगत आ है, साँसऊँ में नोईं होत। ऐई से के रए के जबरजस्ती नईं करो, जे अमियाँ धरीं, विही की जगाँ इनईं खों खा लो।”

अनमनी होके अपाला अमिअँन की पिरिआ के लिगाँ गई और एक अमियाँ उठा लई। पर पतो नईं एक झटके में कछु सोचके वा चौंक गई और ऊको आँग सुन्न सो पर गऔ।

ऊकी बऊ ने कई, “अरे! कया हो गऔ? ऐसो कया सोच रई?”

वा कन लगी, “एक ठौलें सवाल आओ मन में।”

बऊ कन लगी, “पूछ”

वा कन लगी, “ अब्बई हाल तमने कई के जो बर्राउत में होत वो बस लगत आ है के साँसऊँ में आ हो रऔ पर साँसऊँ में होत नोईं है।”

बऊ ने कईं, “हओ, सो?”

वा अगाँईं कन लगी, “तो जा बताओ के अबै हम जोन जा अमियाँ खा रए, जा साँसऊँ में आ खा रए के बस हमें ऐसो लग आ रऔ के खा रए? क्याऊँ ऐसौ तो नोईं है के हम अबै सोई बर्राआ रए होएँ और जो बर्राउत में आँ हो रऔ?”

काय के ऊकी बऊ अच्छीं–अच्छीं किताबें पढ़त ती, सो तनक हुसयार हती ती।

वा कन लगी, “मोड़ी, जो सवाल तो तेने भौंत अच्छो पूछो पर अबै तो हम हमाए लिगाँ ईको जेई उत्तर है के बिल्कुल हो सकत के जोन तम अबै अमियाँ खा रईं, जो खुदई एक ऐनई–ऐन बड़े सपने में हो रऔ होय। पर ईको पतो तो सबई खों खुदई मेहनत से लगाँऊने आउत।”

तो अपाला कन लगी, “और ई बात को पतो कैसे लगाउत?”

तो ऊकी बऊ कन लगी, “ऊके लाने तमें नोनी–नोनी किताबन खों पनी दोस्तानीं बनाऊने आए और उनन खों खूब पढ़ने और समजबे की कोशिश कन्ने आए। संगे–संगे ऐनई–ऐनई सवाल पूछने आए और उनन के उत्तर उनईं किताबन में या  और सई जगाँ से पतो कन्ने आए।”

अपाला कन लगी, “अब से किताबें भी हमाईं दोस्तानी और हम उनन खों रोज पढ़े, संगई–संगे उनन खों अच्छे से समजबे के लाने ऐनई–ऐन सवाल पूछें काय के हमें ई बर्राउत वाई बात को पतो तो कन्नईं कन्ने है।”

ऊकी बऊ ने ऊखों गल्लन केरी अच्छी–अच्छी किताबें ल्याकें दे दईं, जीखों वा रोज पढ़न लगी और सवाल पूछ–पूछकें समजबे की कोशिश करन लगी।

और इतई अपनी किसा हो गई खतम, पर एक सवाल है।

‘जा बताओ के अपन ने जोन जा किसा सुनी, जा साँसऊँ में आ सुनी के बर्राउत में?‘

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