निरंजन, तुम पर जीवन का समर्पण नक़ाब मइया, तुम क्यों बेचैन हो? तुम आए जग ही जवानी धीरे-धीरे छुपी तस्वीर जाति जाति नहीं मगर… होली आए इस बार विध्वंस माँगता हूँ