आज भारत तेजी से आर्थिक तरक्की की ओर बढ़ रहा है जिसमें तरह-तरह के औद्योगिक विकास के उपक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बड़े-बड़े शहरों में विभिन्न मल्टीनेशनल कम्पनियों के केंद्र स्थापित हो चुके हैं, और भी हो रहे हैं। ये सब अच्छी बात है, पर इन सबके बीच हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि भारत आज भी गाँवों का देश है और आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता है। छ: लाख से अधिक गाँवों की गोद में भारत की साठ फीसदी से ज़्यादा जनसंख्या खेलती-कूदती है।
चूँकि भारत की भौगोलिकता अपार विविधताओं से संपन्न है, इसीलिए अलग-अलग क्षेत्रों में पड़ने वाले गाँवों की अपनी अलग ही पहचान है। अगर थोड़ी देर के लिए ग्रामीण समाज और उसकी समस्याओं, खामियों को अलग रखकर बात सिर्फ़ भौगोलिक और प्राकृतिक सुंदरता की की जाए तो ग्रामीण क्षेत्र एक ऐसी तस्वीर हमारे सामने प्रस्तुत करता है कि उसके सामने तमाम उलझनों में गुथा हुआ हमारा मन ठिठक सा जाता है, एकदम अचंभित होकर कि जिस मानसिक ऊपापोह से बचने के लिए हम सौ तरीके के तिकड़म करते रहते हैं, वो भी बड़े-बड़े शहरों में रहकर, वो बेचैनी थोड़ी देर को ही सही दूर तक फैले और लहलहाते खेतों को देखते वक्त गायब हो जाती है।

संचार और यातायात के साधनों ने एक-जगह से दूसरी जगह जाने में होने वाली असुविधाओं को लगभग समाप्त ही कर दिया है और आज शहरों में रहने वाला युवा लगभग हर महीने ही किसी-न-किसी जगह पर्यटन के लिए जाता रहता है। किंतु कभी हमने ये खयाल किया है कि भारत के गाँव और उनकी रमणीयता, सुरम्यता एक पर्यटक को वो सबकुछ दे सकती है जिसकी आशा किसी भी प्रसिद्ध पर्यटन स्थल से की जाती है। मैदानी क्षेत्रों में दूर-दूर तक समतल खलिहानों और मैदानों का अपना अगर आकर्षण है तो पहाड़ीं क्षेत्रों में बसे गाँवों में घाटियों और वनों की अपनी मनमोहकता। रेगिस्तानी क्षेत्र में सब ओर फैली रेत मन को एक भीतरी खजाना दे सकती है तो बर्फीली पहाड़ियों का दर्शन जीवन की कोई गाँठ सुलझा सकता है।
हालिया समय में ये खबरें बड़ी चर्चा का विषय थीं कि हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल की ओर जाने वाले मार्गों पर अत्यधिक भीड़ के कारण लंबा ट्रैफिक जाम लग गया। तो एक तरफ तो कुछ पर्यटन स्थलों पर बहुत बड़ी संख्या में लोग जा रहे है, और सच कहूँ तो उस वजह से पर्यटन का वास्तविक उद्देश्य धूमिल पड़ जाता है, उल्टा उस स्थल भी भारी नुकसान होता है। यही कारण है कि कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों पर अत्यधिक निर्माण, अनियंत्रित भीड़ और लोगों द्वारा फैलाई गई गंदगी आदि के दुष्परिणाम उस पूरे क्षेत्र के लिए ही बहुत बड़ा खतरा बनकर खड़े हो रहे हैं।
ऐसे में आवश्यक है कि हम भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों की रमणीयकता को एक विकल्प के तौर पर प्रस्तुत करें – इस पूरी सावधानी और व्यवस्था के साथ कि पर्यटकों का आना आने वालों और गाँव दोनों के लिए लाभप्रद हो, न की गाँवों स्थिति को बदतर करे। युवा वर्ग जो आज तात्कालिक मौज की फिराक में रहता है, उसे ये पता होना चाहिए कि पर्यटन के लिए उसके पास ये उत्तम विकल्प ये भी है कि गाँव की किसी पगडंडी पर बैठकर प्राकृतिक सुंदरता को निहारे और उसके माध्यम से मन व जीवन की कई गुत्थियों को समझे, और उसी निहारने और समझने में, मन पर लदे बोझ को हटाने में ही असली मौज है, और वही तो पर्यटन पर जाने का उद्देश्य होता है।
व्यक्तिगत अनुभव से कह सकता हूँ कि गोवा में हल्की बारिश और ठंड़ी हवाओं के बीच टेड़े-मेड़े पहाड़ी रास्तों पर स्कूटर से घूमने और प्राकृतिक दृश्यों की मनमोहक सुंदरता में खो जाने में जो हल्कापन है, वही हल्कापन आपको हरे-भरे खेतों के बीच बने सकरे रास्तों पर पैदल चलने में है।
संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसे हम औद्योगिक दृष्टि से विकसित देश कहते हैं, उसे देखने के बाद मुझे तो पूरा का पूरा देश मुख्यत प्राकृतिक खूबसूरती से भरा हुआ देश लगा जहाँ औद्योगिक फैक्टरियाँ तो जैसे कहीं दिखाई ही नहीं देतीं, सब जगह प्रकृति और उसकी खूबसूरत कृतियाँ दिखाई देती हैं। वहाँ कहीं झरना एक प्रमुख पर्यटन स्थल है तो कहीं नदी का तट। विशाल वन क्षेत्र में अनेकों स्थलों को पर्यटन के स्थल के रूप में स्थापित और प्रचारित किया गया है जिस वजह से सामान्य से दिखने वाले प्राकृतिक जगह पर ही पर्यटक भारी संख्या में आते हैं।
उस दृष्टि से अगर मैं भारत को देखूँ तो यकीन मानिए, हमारे यहाँ इतने पर्यटन के स्थल हो सकते हैं जिनकी कोई गिनती नहीं है – भौगोलिक विविधता कुछ कम थोड़ी ही है यहाँ – नदियाँ, पर्वत, जंगल, रेगिस्तान, समतल क्षेत्र, क्या है जो यहाँ नहीं है! पर ज़रूरत है तो उन जगहों के प्राकृतिक स्वरूप को संरक्षित करने की, उन्हें अंधाधुंध दोहन से बचाने की, सब जगहों पर साफ़-सफाई की, पर्यटकों की व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने की, लोगों में प्रकृति और प्राकृतिक धरोहरों के प्रति संवेदनशीलता जगाने की एवं प्रकृति से छेड़छाड़ की भीषड़ दुष्परिणामों से अवगत कराने की।

अंत में हम ये कह सकते हैं कि भारतीय ग्रामीण क्षेत्र भौगोलिक विविधता और प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं और हमारे सामने पर्यटन का एक उत्तम विकल्प प्रस्तुत करता है और ये हमारे ऊपर है कि पर्यटन के लिए हम इस विकल्प को चुनें। भारत के गाँव पर्यटन की अपार संभावनाओं को अपने भीतर समेटे हुए हैं, आवश्यकता है तो उसे बढ़ावा देने की और ये सावधानी बरतने की कि पर्यटन पर्यटक और गाँव दोनों के लिए लाभप्रद हो, न कि स्थितियों को बदतर बनाने का कारण – जैसा कि अनेक प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों का हाल हो रहा है।
इसीलिए अगली बार जब भी पर्यटन के लिए बाहर जाने की योजना बनाएँ तो ये ध्यान रखिएगा कि किसी गाँव में खुले आकाश के नीचे रात गुजारने का एक अलग और खूबसूरत विकल्प भी उपलब्ध है। और आपका ये कदम आपके साथ-साथ कई और लोगों, परिणामस्वरूप पूरे देश की बेहतरी की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय हो सकता है (बशर्ते आप पर्यटन के नाम पर कुछ भी अवांछनीय न करें)।

