ग्रामीण भारत की रमणीकता

आज भारत तेजी से आर्थिक तरक्की की ओर बढ़ रहा है जिसमें तरह-तरह के औद्योगिक विकास के उपक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इस पूरी प्रक्रिया में बड़े-बड़े शहरों में विभिन्न मल्टीनेशनल कम्पनियों के केंद्र स्थापित हो चुके हैं, और भी हो रहे हैं। ये सब अच्छी बात है, पर इन सबके बीच हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि भारत आज भी गाँवों का देश है और आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र में निवास करता है। छ: लाख से अधिक गाँवों की गोद में भारत की साठ फीसदी से ज़्यादा जनसंख्या खेलती-कूदती है। चूँकि भारत की भौगोलिकता…

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जो हम भारतीयों को पश्चिम से सीखना चाहिए, लेख १ – साफ़-सफ़ाई

दुनिया में हर एक व्यक्ति गुणों व दोषों का सम्मिलित पुतला होता है। शायद ही ऐसा कोई हो जो हर दृष्टि से दोषरहित है, या जो हर दृष्टि से गुणरहित है। कहने का तात्पर्य ये है कि हम जैसे सामान्य इंसान के अन्दर गुण-दोष दोनों अलग-अलग अनुपात में रहते ही रहते हैं, और व्यक्ति का स्वयं के प्रति ये दायित्व होता है कि वो दुर्गुणों (दोषों) को कमतर करता चले।

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