दो परिवार, और सारा संसार

बाकी दुनिया के सम्पर्क से थोड़ा दूर ज़रूर था वो पूरा इलाका, परन्तु ज़रूरत की हर चीज़ वहाँ मौजूद थी। पहाड़ों की सुरम्य घाटियों के मध्य नदी की धार कुछ ऐसे बहा करती थी जैसे की चोटी पर सरसराती पवन।हर किसी की प्यास अपनी तृप्ति नदी के शीतल जल में पाती और मन की तृप्ति पहाड़ के वनों एवम् वहाँ के निवासी अर्थात् जानवरों के साथ एकान्त वार्तालाप में व जीवन के अवलोकन में। घाटी के एक तरफ़ सिर्फ़ तीन सदस्यों का एक परिवार था, जो पूरी तरह से अपने आसपास की प्राकृतिक व्यवस्था के साथ सामंजस्य के साथ रहता…

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